पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति मंच ने स्वर्गीय गगनेजा जी की पुण्यतिपर पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करके याद किया
देश की खातिर मर मिटने वालों को दुनिया हमेशा याद रखती है:किशन लाल शर्मा
जालंधर (कोमल शेरगिल) पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति मंच की ओर से भारत माता के महान सपूत श्री जगदीश गगनेजा जी की पुण्यतिथि पर गुरुगोबिंद सिंह एवेन्यू में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया।इस अवसर पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति मंच के पंजाब प्रधान किशन लाल शर्मा ने कहा की देश की खातिर मर मिटने वालों को दुनिया हमेशा याद रखती है और कहा की जगदीश गगनेजा भारत माता के महान सपूत थे।उनके जीवन से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए।
जगदीश गगनेजा जी ने अपना पूरा जीवन भारत मां की धरती के लिए समर्पित किया था और कहा कि गगनेजा जी की करनी और कथनी में अंतर नहीं था और कहा जगदीश गगनेजा जी का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा और कहा कि जगदीश गगनेजा जी ने हमेशा कार्यकर्ताओं को समाज व राष्ट्र हित में कार्य करने के लिए प्रेरित किया था। जगदीश गगनेजा जी के जीवन से प्रेरणा लेकर हर कार्यकर्ताओं को राष्ट्र निर्माण के कार्य में जुटना होगा यही उनको सच्ची श्रद्धांजलि है। और किशनलाल शर्मा ने कहा की माननीय गगनेजा जी बाल्यकाल से ही संघ के स्वयंसेवक थे। वे सेना में ब्रिगेडियर पद से रिटायर हुए थे। सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने पुनः संघ का काम देखना प्रारम्भ कर दिया। उनके पास पंजाब प्रांत के सह-प्रान्त संघचालक का दायित्व था। उन्होंने अपना सारा जीवन देश को समर्पित कर दिया था।
गगनेजा जी का परिवार लाहौर, पाकिस्तान का रहने वाला था। आजादी के बाद हुए बंटबारे में उनका परिवार फिरोजपुर जिले के जलालाबाद में बस गया। उनके पिताजी जलालाबाद में आढ़त का काम करने लगे। 19 फरवरी 1950 को, जलालाबाद में ही गगनेजा जी का जन्म हुआ।
कुछ समय बाद उनका परिवार बठिंडा में आकर बस गया। उनकी स्कूली शिक्षा सनातन धर्म हाई सेकेंडरी स्कूल बठिंडा में हुई एवं उच्च शिक्षा बठिंडा के ही राजिंद्रा कालेज में हुई। वे पढने में बहुत ही होशियार थे और साथ ही हाकी के भी बहुत अच्छे खिलाड़ी थे। विद्यार्थी जीवन में ही वे “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ” से संपर्क आये।
संघ के स्वयंसेवक के रूप में उन्होंने द्वितीय वर्ष तक का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया था। 1970 में वे सेना में भर्ती हुए। सेना में उनके पास 6 साल तक, भारतीय एवं विदेशी अफसरों को ट्रेनिंग देने का दायित्व रहा और उसके बाद उन्होंने तोपखाने की कमांड की। कई साल तक वे कश्मीर में भी रहे। 2006 में वे ब्रिगेडियर के पद से रिटायर हुए।
रिटायरमेंट के बाद वे जालंधर कैंट में रहने लगे। 2009 में वे फिर से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्य में सक्रीय हो गए। पहले उन्होंने जालंधर के माननीय संघचालक का दायित्व सम्हाला और 2013 में वे पंजाब प्रदेश के माननीय सह-प्रान्त संघचालक बनाये गए। सेना के अधिकारियों को ट्रेंड करने के उनके अनुभव का लाभ स्वयंसेवकों को भी मिला।
वे अक्सर कहा करते थे कि – ”मुझे फौज और संघ में कोई फर्क नजर नहीं आता। दोनों जगह ही देश की सेवा का ही कार्य और दृढ अनुशासन है”। उनका कहना था कि -अधिकाँश सैनिक कभी न कभी स्वयंसेवक अवश्य रहे हैं। ऐसे देशभक्त लोगों से, देशद्रोहियों का नफरत करना कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है।
6 अगस्त 2016 को वे अपनी धर्म पत्नी के साथ ज्योति चौक (जालन्धर) में फल खरीदने गए। जब वे फल खरीदकर अपनी कार लेने जा रहे थे तभी मुँह पर कपड़ा बांधे दो मोटरसाइकिल सवार युवकों ने उनको गोली मारकर फरार हो गए। डेढ़ माह तक हस्पताल में जिन्दगी और मौत से संघर्ष करने के बाद 22 सितम्बर को दुनिया से विदा हो गए।
इस अवसर पर पंजाब भाजपा के जिला सचिव डॉक्टर विनीत जी ने कहा कि जगदीश गगनेजा जी को सच्ची श्रद्धांजलि यही है कि हम सभी राष्ट्र विरोधी ताकतों के खिलाफ एकजुट होकर लड़े। इस अवसर पर सरवन कुमार शर्मा,नरेश कुमार शर्मा,अजमेर सिंह बादल,मोहित सोनी,जगदीश कुमार,परमजीत सिंह,रोहित कौंडल,धर्मपाल,शंकर कुमार जोशी,नरेंद्र सिंह,जतिंदर सिंह हरदेव सिंह,गुरदेव सिंह,विकी कुमार,जसवीर सिंह,पंकज कुमार आदि भारी संख्या में कार्यकर्ताओं ने श्री जगदीश गगनेज जी के चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए।