जालंधर के नासा न्यूरोकेयर के डॉ नवीन चितकारा को लगा पाँच लाख रुपये हर्जाना
जालंधर (वीओपी ब्यूरो) जालंधर के जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम ने जालंधर के नासा न्यूरोकेयर के नवीन चितकारा नामक एक न्यूरोसर्जन को पांच लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है | फगवाड़ा निवासी आईपी सिंह ने डॉ चितकारा पर आरोप लगाया था कि उनकी मां की रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन डाक्टर ने ठीक नहीं किया ।
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जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम के अध्यक्ष कुलजीत सिंह और सदस्य ज्योत्सना ने 20 अप्रैल को दिए गए अपने आदेश में न्यूरोसर्जन डॉ नवीन चितकारा को शिकायतकर्ता द्वारा किए गए खर्च और उनके द्वारा किए गए मानसिक उत्पीड़न के मुआवजे सहित पांच लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है ।
शिकायतकर्ता फगवाड़ा निवासी आईपी सिंह ने 8 जून, 2015 को फोरम को दी शिकायत में आरोप लगाया था की उन्होने अपनी माँ अवतार कौर को उनके ऊपरी और निचले अंगों के काम करने में समस्या थी और 4 जून, 2013 को एमआरआई कारवाई | जिसके बाद उन्होंने डॉ नवीन चितकारा से सलाह ली और जांच के बाद उन्होने कहा कि उनकी माँ की रीढ़ में कुछ संपीड़न था और यह अंगों में कमजोरी पैदा कर रहा है । डॉ नवीन चितकारा ने कहा की उनकी सर्जरी करनी पड़ेगी अगर आप ने सर्जरी न कारवाई तो उनकी माँ की स्थिति और बिगड़ सकती है ।
जिस के बाद आईपी सिंह ने 10 जून, 2013 को अपनी मां की रीढ़ की सर्जरी डॉ चितकारा के अस्पताल NASA न्यूरोकेयर, जालंधर से करवाई और डाक्टर ने कहा कि सर्जरी बहुत अच्छी तरह से हुई है और जल्दी रिकवरी होगी । लेकिन आई पी सिंह ने आरोप लगाया की 13 जुलाई 2013 को एमआरआई कारवाई तो पता चला की सर्जरी में कोई सुधार नहीं हुआ | उन्होंने कहा कि 26 जुलाई, 2013 को उनकी मां का 3 डी सीटी स्कैन कराया ताकि और ज्यादा स्पष्ट हो सके ।
उन्होंने यह भी बताया कि उन्होने चार अन्य प्रमुख सर्जनों से परामर्श किया , जिसमें दिल्ली के तीन सर्जन शामिल थे ने कहा कि फिर से सर्जरी की आवश्यकता है | उन्होंने यह भी बताया कि कि सर्जरी के बाद उनकी माँ को डीएमसी अस्पताल लुधियाना में एक सप्ताह के लिए इमरजेंसी / आईसीयू में भर्ती करवाया | उन्होंने कहा कि उनकी मां को मानसिक और शारीरिक आघात देने के लिए डॉ चितकारा जिम्मेदार था ।
हालाँकि, डॉ चितकारा ने अपना बचाव करते हुये अपने ऊपर लगे आरोपों का खंडन किया था | फिर भी फोरम ने मरीज की एक्स-रे रिपोर्ट, गवाहों के हलफनामे और दूसरे स्पाइन / न्यूरो सर्जनो की राये को आधार बनाते हुये कहा कि डॉ चितकारा चिकित्सा मानक प्रोटोकॉल के अनुसार रोगी की सर्जरी करने में विफल रहा और मरीज की रीड की हड्डी में दबाव वैसे ही बना रहा डाक्टर उसको खतम करने में भी असफल रहा |